1. भाग्य रेखा हथेली के मध्य में स्थित होती है। ये रेखा जितनी साफ, स्पष्ट और लम्बी होती है व्यक्ति उतना ही भाग्यशाली और सुख पूर्वक जीवन जीता है।
2. ये रेखा अगर, टूटी, कटी हुई, बहुत अधिक मोटी या चैन नुमा आकृति बनाती हो तो यह जीवन में आने वाले दुःख और रूकावट को प्रदर्शित करती है।
3. ये रेखा हथेली के प्रारंभ अर्थात कलाई से जितनी अधिक दूरी से शुरू होती है, व्यक्ति को भाग्योदय और सुख उतने ही देर से प्राप्त होता है।
4. यदि भाग्य रेखा कलाई से प्रारंभ होकर उँगलियों की जड़ तक पहुँच कर रुक गई हो और दोष रहित हो तो व्यक्ति जन्म से ही भाग्यशाली और सुखी होता है। ऐसे लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।
5. यदि भाग्य रेखा उँगलियों की जड़ से आगे निकल कर उँगलियों के पहले पोर तक पहुँच गई है तो यह स्थिति शुभ नहीं होती है।
6. भाग्य रेखा पर तिल होने पर व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को कड़ी मेहनत करना पड़ती है, लेकिन आशा के अनुरूप फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
7. हथेली में दो भाग्य रेखाएं जो एक दूसरे को कहीं भी काटती ना हों बहुत शुभ होती है।
8. भाग्य रेखा पर यदि त्रिशूल, मछली, कमल, त्रिकोण बनता है तो वह व्यक्ति अत्याधिक भाग्यशाली होता है।
9. यदि जीवन रेखा एंव भाग्य रेखा जुड़कर एक ही रेखा बनाएं तो, इस स्थिति में व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होगा।
दोस्तों, हथेली की रेखाएं कैसी भी हों वो सदैव एक सी नहीं रहतीं व्यक्ति का भाग्य और रेखायें कर्मों के अनुसार बदलते रहते हैं। कर्म प्रधान व्यक्ति को भाग्य और सुख दोनों का साथ मिलता है।
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कभी नहीं पिएंगे ब्रांडेड बोतल का पानी अगर जान जायेंगे ये सच्चाई
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