पलविंदर सिंह का जन्म सन 1980 में बटाला पंजाब के छोटे से गांव रायचक्क में माता सुरजीत कौर और पिता संतोख सिंह के घर हुआ था। पलविंदर 1999 में 10 सिख रैजीमैंट में भर्ती हुए। उन के पिता संतोख सिंह भी बी.एस.एफ. में थे जिन्होंने 1965 व 1971 की जंग लड़ी थी। शहीद पलविंदर सिंह के पैतृक गांव रायचक्क में 6 दिसंबर को जब शहीद का शव पहुंचा तो समूचा गांव शोक में डूबा हुआ था। पारिवारिक सदस्यों व शहीद पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल हुआ पड़ा था। बुजुर्ग माता-पिता को एक तरफ बेटे की शहादत पर गर्व था तो दूसरी तरफ उसे हमेशा के लिए खो देने का गम भी।
5 साल की बेटी सिमरनजीत कौर और 6 साल का बेटे सहजप्रीत सिंह ने रोते हुए एक ही रट लगाई हुई थी,"15 दिन पहले ही पापा ड्यूटी पर गए थे, तब कहा था कि जल्द वापस आएंगे वह तो हमारे लिए खिलौने भी लाएंगे और घुमाने भी ले जाएंगे।"
वहीं शहीद की पत्नी पलविंदर कौर का कहना है कि उसे अपने पति के खोने का गम है, लेकिन अपने पति की शहादत पर पूरी उम्र गर्व रहेगा।
शहीद पलविंदर सिंह की अर्थी को मां सुरजीत कौर ने कंधा दिया और भारत मां का जयकारा लगाकर विदा किया। शहीद को भाई दविंदर सिंह ने मुखाग्नि दी। मंगलवार सुबह ही उसके शहीद होने की खबर आई थी और तब से परिवार वालों का बुरा हाल है। सारा गांव शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा था।
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यदि आपका अंगूठा भी ऐसा है तो आप पर होगी लक्ष्मी जी की विशेष कृपा, नहीं होगी धन की
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