कसरत करने के दौरान या अंगडाई लेते समय कई बार हड्डियों के जोड़ों के चटकने की आवाज आती है। इसके अलावा कुछ लोगों को उँगलियाँ चटकाने की भी आदत होती है। आइये जाने हड्डियों के चटकने पर आवाज क्यों आती है।
दरअसल हड्डियों के जोड़ों के चटकने के दो अलग-अलग कारण हैं। शरीर को ऐंठने, मोड़ने या अंगडाई लेने से हड्डियों के चटकने की आवाज आती है उसका कारण वे ऊतक हैं, जो मांसपेशियों ओर हड्डियों के बीच में रहते हैं। जब इन पर तनाव पड़ता है तो ये अपने स्थान से हट जाते हैं और इसी कारण से आवाज पैदा होती है। जिसे हम हड्डियाँ चटकना कहते हैं। इसकी पुनरावृत्ति का कोई निशिचत समय नहीं होता है। अर्थात कुछ लोगों में यह उसी समय दोबारा भी हो सकता है तथा कुछ के साथ नहीं भी हो सकता।
दूसरी ओर जब उँगलियाँ चटकाई जाती है, तब वे लगभग अपनी सीमा तक मोड़ दी जाती है। अगर आप भी हाथ-पैर की अंगुलियां चटकाने के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाइए। ये आदत आपको गठिया का शिकार बना सकती है। कनाडा के दो वैज्ञानिक ग्रैग ब्राउन व मिशेल मॉफिट ने अपनी किताब 'एसेपसाइंस' में यह खुलासा किया है। किताब के अनुसार, हमारी हड्डियां लिगामेंट के द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। जब हम अंगुलियां चटकाते हैं, तो उस समय हम वास्तव में इन लिगामेंट जोड़ों को खींच रहे होते हैं। जोड़ के बार-बार खिंचाव से हड्डियों के बीच मौजूद द्रव कम हो सकता है और जोड़ पर मौजूद ऊतक नष्ट भी हो सकते हैं, जिससे गठिया हो सकती है। घुटने, कोहनी और अंगुलियों के जोड़ों में एक विशेष प्रकार का द्रव पाया जाता है, जोड़ों पर दबाव के कम होने से इस विशेष प्रकार द्रव में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड नए बने खाली स्थान को भरने का काम करती है। जब जोड़ों को अधिक खींचते हैं तो दबाव कम होने से यह बुलबुले फूट जाते हैं और हड्डी चटकने की आवाज आती है। जब तक यह वायु दोबारा बुलबुलों के रूप में द्रव पदार्थ में घुलमिल नहीं जाती, तब तक फ़िर से उँगलियाँ चटकाने पर यह आवाज नहीं आ सकती।
दरअसल हड्डियों के जोड़ों के चटकने के दो अलग-अलग कारण हैं। शरीर को ऐंठने, मोड़ने या अंगडाई लेने से हड्डियों के चटकने की आवाज आती है उसका कारण वे ऊतक हैं, जो मांसपेशियों ओर हड्डियों के बीच में रहते हैं। जब इन पर तनाव पड़ता है तो ये अपने स्थान से हट जाते हैं और इसी कारण से आवाज पैदा होती है। जिसे हम हड्डियाँ चटकना कहते हैं। इसकी पुनरावृत्ति का कोई निशिचत समय नहीं होता है। अर्थात कुछ लोगों में यह उसी समय दोबारा भी हो सकता है तथा कुछ के साथ नहीं भी हो सकता।
दूसरी ओर जब उँगलियाँ चटकाई जाती है, तब वे लगभग अपनी सीमा तक मोड़ दी जाती है। अगर आप भी हाथ-पैर की अंगुलियां चटकाने के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाइए। ये आदत आपको गठिया का शिकार बना सकती है। कनाडा के दो वैज्ञानिक ग्रैग ब्राउन व मिशेल मॉफिट ने अपनी किताब 'एसेपसाइंस' में यह खुलासा किया है। किताब के अनुसार, हमारी हड्डियां लिगामेंट के द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। जब हम अंगुलियां चटकाते हैं, तो उस समय हम वास्तव में इन लिगामेंट जोड़ों को खींच रहे होते हैं। जोड़ के बार-बार खिंचाव से हड्डियों के बीच मौजूद द्रव कम हो सकता है और जोड़ पर मौजूद ऊतक नष्ट भी हो सकते हैं, जिससे गठिया हो सकती है। घुटने, कोहनी और अंगुलियों के जोड़ों में एक विशेष प्रकार का द्रव पाया जाता है, जोड़ों पर दबाव के कम होने से इस विशेष प्रकार द्रव में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड नए बने खाली स्थान को भरने का काम करती है। जब जोड़ों को अधिक खींचते हैं तो दबाव कम होने से यह बुलबुले फूट जाते हैं और हड्डी चटकने की आवाज आती है। जब तक यह वायु दोबारा बुलबुलों के रूप में द्रव पदार्थ में घुलमिल नहीं जाती, तब तक फ़िर से उँगलियाँ चटकाने पर यह आवाज नहीं आ सकती।
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