धौलपुर जिले के चम्बल रोड पर करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में बाबा भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे में एक अद्भुत मान्यता है। मान्यता है कि यहां भोले बाबा का शिवलिंग तीनों पहर तीन रंग का दिखाई देता है। यह विख्यात शिवलिंग धौलपुर के डांग क्षेत्र में स्थित अचलेश्वर महादेव है। चम्बल के बीहड़ो में बसे होने के बाद भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और उसकी वजह है महादेव का चमत्कारी रूप। भगवान के रंग बदलने के पीछे क्या कहानी है इस सवाल का जबाब तो किसी के पास नहीं है लेकिन शिव के इस दुर्लभ रूप से कई लोगों की कहानी जरूर बदल गई है। शिवलिंग भी यहां अनोखा है, ऊपर गोल, नीचे चौकोर। विशेष बात ये है की शिव लिंग का अभी तक कोई छोर मिला ही नहीं है।
यहाँ भगवान तीन बार रंग बदलते हैं। सुबह की पहली किरणों में लाल रंग में दर्शन देते हैं शिव तो दोपहर में केसरिया और शाम में भक्तों को सांवले सलोने महादेव के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है। रंग बदलते शिवलिंग के चलते यहां भगवान को अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। क्षेत्र के निवासियों द्वारा बताया जाता है कि अचलेश्वर महाराज का ये मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। चम्बल के बीहड़ होने की वजह से पहले भक्त यहां कम ही आते थे लेकिन जैसे-जैसे शिवलिंग के चमत्कार की कहानियां बीहड़ों के बाहर गई भक्त यहां जुटने लगे। बहुत पहले भक्तो ने ये जानने के लिए यहां खुदाई कराई की शिवलिंग कितना नीचे तक है लेकिन बहुत गहराई तक खुदाई कराने के बाद भी इस शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला ओर हार कर इसे इसी रूप में छोड़ दिया गया। महादेव अपने दर पर आने वाले किसी भी भक्त को खाली हाथ नहीं जाने देते। ऐसी मान्यता है कि महादेव सबकी इच्छा पूरी करते हैं लेकिन अगर यदि विवाह योग्य कुंवारे लड़के-लड़कियां आकर विवाह के लिए अर्जी लगाते है तो भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।