स्वच्छ भारत अभियान में एक और वाकया जुड़ गया है। शुक्र है की यहाँ प्रधान मंत्री का नाम नहीं जुड़ा है। बिहार के औरंगाबाद में स्वच्छ भारत अभियान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए डीएम कंवल तनुज निकले थे। गांव वालों को समझा रहे थे की खुले में गंदगी नहीं फैलानी चाहिए। बात को गंभीरता से कहने के लिए डीएम साहब ने अपनी बात में बीवियों को जोड़ दिया। डीएम साहब बोले,"अगर अपनी बीवियों की मर्यादा बचा सकते हो तो बचाओ। कितने गरीब हैं आप? अपने हाथ उठाकर बताओ कि क्या तुम्हारी बीवियों की कीमत 12 हजार रुपये से भी कम है? पहले मेरी बात सुनो, हाथ मत उठाओ।"
इतना कहना था डीएम साहब का कि तभी एक ग्रामीण ने शौचालय बनवाने के लिए पैसों के न होने का रोना रो दिया, और डीएम साहब सही बात को विवादित तरीके से बोल गए। उन्होंने तपाक से ग्रामीण से कह दिया कि अगर शौचालय नहीं बनवा सकते तो अपनी बीवी को बेच दो।
बीवी को बेचने वाली बात पर डीएम साहब की किरकिरी हो रही है। कह सकते हैं कि गए तो थो समेटने के लिए लेकिन उल्टा रायता फैल गया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सात निश्चय अभियान के तहत दो योजनाएं शुरू की थीं - हर घर नल का जल और शौचायलय निर्माण, घर का सम्मान। ये योजनाएं स्वच्छ भारत मिशन का हिस्सा हैं, इन योजनाओं के तहत 2019 तक बिहार के हर गांव और कस्बे को खुले में शौच मुक्त बनाना है। शौचालय निर्माण, घर का सम्मान योजना के तहत एक आदमी को राज्य सरकार की तरफ से 12 हजार रुपये की मदद राशि मुहैया कराई जाती है। डीएम कंवल तनुज इसी योजना के तहत गांव वालों के सामने बोल रहे थे।
चुटकुलों, सियासी जुमलों में तो बीवियों की उपस्थिति पहले से ही थी, अब बेहद पढ़े-लिखे जनता की सेवा के लिए तत्पर डीएम साहब के भाषण में भी शामिल हो गई हैं। डीएम साहब ने जज्बाती होकर कुछ ऐसा दर्द बयां कर दिया कि बीवियां कन्फ्यूज हो हैं कि साहब से सहानुभूति दिखाएं या गुस्सा? यही हालत बीवियों के पतियों की है कि प्रतिक्रिया कैसी दें।
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