मणिकर्णिका घाट | Manikarnika ghat
शमशान पर दिखने वाला ये मंजर एक तरफ हैरान करता है तो दूसरी तरफ सवाल पैदा करता है कि ऐसा आखिर क्यों होता है? ये शमशान है काशी का मणिकर्णिका घाट जहां साल में सिर्फ एक बार चैत्र नवरात्र की अष्टमी के दिन अनोखा नज़ारा होता है।
नृत्य के पीछे मान्यता
दरअसल ये सब एक पुरानी परम्परा को निभाने के लिए किया जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस रात ये नगरवधुयें और सेक्स वर्कर्स जीते जी मोक्ष की प्राप्ति के लिए आती हैं। ये वो मोक्ष है जो इन्हे यकीन दिलाता है कि अगले जनम में इन्हे नगरवधू या तवायफ या सेक्स वर्कर बनने का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा।
पूरे वर्ष में सिर्फ एक बार ऐसा होता है जब ये सभी सेक्स वर्कर्स शमशान में बने शिव मंदिर में इकठ्ठा होती हैं और पूरी रात नाचती हैं।
कैसे शुरुआत हुई इस परंपरा की
ये परंपरा सैकड़ो साल पुरानी है। बहुत पहले राजा मान सिंह के समय में इस स्थान पर नृत्य करने के लिए उस समय के मशहूर नर्तकियों को बुलावा भेजा गया था। परन्तु शमशान में स्थित होने के कारण उन सभी ने आने से इंकार कर दिया। राजा मान सिंह ने इस उत्सव कि घोषणा पुरे शहर में पहले से ही करवा दी थी। अतः ये निर्णय किया गया कि शहर की बदनाम गलियों में रहने वाली तवायफों को नृत्य करने के लिए बुलाया जाये। तभी से यहाँ आकर नृत्य करने वाली सेक्स वर्कर्स खुद को बहुत खुशनसीब समझती हैं और हर साल यहाँ इकट्ठी होती हैं इस कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा का भी पूरा इंतेज़ाम पुलिस प्रशासन द्वारा किया जाता है। इन सब व्यवस्थाओं के बीच हर वर्ष सैकड़ो सैलानी भी इस आयोजन को देखने आते हैं।
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