जब से बीरबल बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्न बने, तब से अकबर के दरबार के कुछ मंत्री खुश नहीं थे। अकबर द्वारा बीरबल की अधिक प्रशंसा करने के कारण दरबार के मंत्रियों को बीरबल से ईर्ष्या होने लगी थी अतः मंत्रियों ने मिलकर बीरबल के खिलाफ एक षड़यंत्र रचा और इस काम में उन्होंने शाही नाई की मदद लेने का निश्चय किया।
नाई, मंत्रियों की इस योजना में शामिल नहीं होना चाहता था किन्तु सोने के सिक्कों के लालच के कारण वह विरोध नहीं कर सका, और इस षड़यंत्र में शामिल हो गया। एक दिन जब वह अकबर के बाल काट रहा था तो उसने कहा "जहांपनाह, कल रात मैंने सपना में देखा कि आपके पिता कह रहे हैं कि वह स्वर्ग में आराम से हैं। उन्होंने आपको भी चिन्ता न करने को कहा।" अकबर ने जब यह सुना तो वे उदास हो गये। क्योंकि जब उनके पिता मरे थे, तब वे बहुत छोटे थे। वे अपने पिता को बहुत ज्यादा याद करते थे।
अकबर बोले "मेरे पिता ने और क्या कहा? मुझे सब कुछ बताओ।" नाई ने कहा "जहांपनाह, उन्होंने कहा कि वह ठीक हैं, किंतु वहां अकेले होने की वजह से थोड़ा बहुत ऊब गए हैं। वह स्वर्ग से बीरबल को देखते हैं और उसकी बुद्धि और हास्य की प्रशंसा करते हैं। यदि आप बीरबल को वहां भेज देंगे तो वह उन्हें बहुत खुश रखेगा।"
अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा "प्रिय बीरबल, मैं तुम से बहुत खुश हूं। किंतु मैं तुम्हें अपने पिता के पास भेजना चाहता हूँ, वे स्वर्ग में खुश नहीं हैं, तुम्हें अपने पास बुलाना चाहते हैं। तुम्हें स्वर्ग में जाना होगा और उनका मनोंरजन करना होगा।"
बीरबल ने यह सुना, तो वह चौंक गए और बोले "मैं स्वर्ग जाने के लिए तैयार हूं। किन्तु हमारे परिवार की परम्परा है कि हमें अपने घर के बाहर दफन किया जाता है। कब्र की व्यवस्था मैं कर लूँगा, बस मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे वहां जिंदा दफन किया जाए।"
बीरबल समझ चुके थे कि यह मंत्रियों और नाई द्वारा किया गया षड़यंत्र है। बीरबल ने अपने घर के बाहर एक कब्र खुदवाई और कब्र के साथ एक सुरंग खोदी, जो उसके शयनकक्ष तक जाती थी।
अकबर ने बीरबल की इच्छानुसार उन्हें जिंदा दफन कर दिया। बीरबल सुरंग के रास्ते से अपने घर आ गया। तीन सप्ताह बाद वह अकबर के दरबार में गया। हर कोई बीरबल को देख कर हैरान था। अकबर ने कहा "तुम स्वर्ग से वापस कब आए? मेरे पिताजी कैसे हैं? और तुम इतने भद्दे क्यों दिख रहे हो?"
बीरबल बोला "महाराज आपके पिता जी ठीक हैं। उन्होनें आपको अपनी शुभकामनाएं भेजी हैं। किंतु जहांपनाह, स्वर्ग में कोई नाई नहीं है। इस वजह से मैं बहुत भद्दा दिख रहा हूं। यदि आपकी कृपा हो तो शाही नाई को आपके पिता जी के पास भेजा जाए जिससे उन्हें ख़ुशी मिलेगी।"
सम्राट ने तुरंत आदेश दिया कि नाई को जिंदा दफन करके स्वर्ग भेजा जाए। नाई अकबर के पैरों में गिर कर क्षमा मांगने लगा और मंत्रियों द्वारा बनाये गए षड़यंत्र के बारे में बता दिया।
अकबर ने यह योजना बनाने वाले सभी मंत्रियों को निकाल दिया और नाई को दस कोड़े मारने का दंड दिया।
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