बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने क्रिकेट में कई कीर्तिमान बनाये हैं। उनका खेल जितना मनोरंजक होता है उस से भी ज्यादा मनोरंजक उनकी प्रेम कहानी है। जिसमे हीरो है, हीरोइन है, विलेन है, दो परिवारों की दुश्मनी है, छुप कर मिलना, रूठना-मनाना सब कुछ है। बिलकुल वैसे ही जैसे पर्दे पर करन जौहर या, राज कपूर की फिल्मों में होता है। सौरव गांगुली और डोना रॉय दोनों बचपन से ही एक-दूसरे को जानते थे उनकी कहानी में उतार-चढ़ाव और तनाव के ढेरों क्षण हैं।
सौरव और डोना का परिवार कोलकाता के बेहाला में पड़ोसी था। और एक समय में आपस में बिजनेस पार्टनर भी, लेकिन किसी बात पर दोनों परिवारों में तकरार हो गयी और रिश्तों में तल्खी आ गई। दोनों के घर की बाउंड्री वाल एक ही थी पर आपस में बातचीत बंद हो चुकी थी। इन सब से बेपरवाह दोनों की दोस्ती बचपन में हो गई और धीरे-धीरे इनकी दोस्ती प्यार में बदलने लगी।
सौरव गांगुली सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ा करते थे तो डोना लोरेटो कॉन्वेंट में पढ़ती थी। स्कूल आने-जाने के बहाने ही इनका मिलना जारी रहा। दोनों के स्कूल में काफी दूर थे और बेहद रईस परिवार से ताल्लुक रखने वाले 'दादा' अपने स्कूटर से डोना के स्कूल चले जाते थे और उनसे वहीं मिला करते थे।
सौरव और शादी करना चाहते थे पर उन्हें पता था कि उनका परिवार राज़ी नहीं होगा इसके दो कारण थे। पहली कारण यह कि गांगुली ब्राह्मण परिवार से थे जबकि डोना का परिवार ब्राह्मण नहीं था। दूसरा, गांगुली के परिवार को डोना का डांसर होना पसंद नहीं था। डोना एक अच्छी शास्त्रीय नृत्यंगना बनना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने गुरु केलुचरण से विधिवत नृत्य की शिक्षा ली है। बावजूद इसके दोनों के बीच रोमांस जारी रहा और दोनों अपने करियर पर भी ध्यान देते रहे। गांगुली चोरी-छिपे डोना का डांस देखने जाया करते थे तो वह भी उनका खेल देखने कभी कभी जाती थीं।
इंग्लैंड में सौरव गांगुली ने टेस्ट करियर की शुरुआत की और अपने पहले ही मैच (लॉर्ड्स) सेंचुरी बनाकर तहलका मचा दिया। उनके लिए यह दौरा बेहद शानदार रहा। वापस लौटने पर गांगुली ने क्रिकेटर और दोस्त मौली बनर्जी को अपनी दिल की बात बताई। मौली ने सौरव का साथ दिया।
और तय कार्यक्रम के अनुसार गांगुली और डोना कोलकाता में मौली बनर्जी के घर पर पहुंच गए। यहां से दोनों मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस के लिए निकले,अभी वह वहां पहुंचे ही थे कि कुछ मीडिया से जुड़े लोग उन्हें वहां दिखाई दिए। उन्हें लगा कि अगर उनकी शादी यहां होती है तो खबर मीडिया में चली जाएगी और अगले दिन फोटो अखबार में छप जाएगी। मौली ने बात को संभाला और रजिस्ट्रार को मनाया और अपने घर ले गए।
रजिस्ट्रार श्याम सुंदर गुप्ता मौली बनर्जी के घर पहुंचे और सारी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों की शादी मौली के घर पर करवा दी गई। उनकी यह शादी 12 अगस्त, 1996 को हुई, शादी के समय दादा की उम्र 23 और डोना 20 साल की थीं, दोनों ने अपने परिवारों को शादी के बारे में कुछ नहीं बताया।
श्रीलंका से लौटने पर दादा और डोना की फिर से शादी बेहद भव्य तरीके से कराई गई। 21 फरवरी, 1997 को दोनों ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के सामने सात फेरे लिए।
दोनों की शादी के 20 साल हो चुके हैं, उनकी एक बेटी सना है जिसका जन्म 3 नवंबर, 2001 को हुआ।
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सौरव और डोना का परिवार कोलकाता के बेहाला में पड़ोसी था। और एक समय में आपस में बिजनेस पार्टनर भी, लेकिन किसी बात पर दोनों परिवारों में तकरार हो गयी और रिश्तों में तल्खी आ गई। दोनों के घर की बाउंड्री वाल एक ही थी पर आपस में बातचीत बंद हो चुकी थी। इन सब से बेपरवाह दोनों की दोस्ती बचपन में हो गई और धीरे-धीरे इनकी दोस्ती प्यार में बदलने लगी।
घरवाले थे प्यार के दुश्मन
अब क्योंकि घर वाले ही इनके प्यार के दुश्मन थे, तो लव स्टोरी में दिक्कत आनी। मिलने के लिए क्या क्या जतनकरने पड़ते थे। घर वालों की नज़र न पड़े इसलिए उन्हें लोगों की निगाहों से बचकर अपने घर से दूर मिलना पड़ता था।सौरव गांगुली सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ा करते थे तो डोना लोरेटो कॉन्वेंट में पढ़ती थी। स्कूल आने-जाने के बहाने ही इनका मिलना जारी रहा। दोनों के स्कूल में काफी दूर थे और बेहद रईस परिवार से ताल्लुक रखने वाले 'दादा' अपने स्कूटर से डोना के स्कूल चले जाते थे और उनसे वहीं मिला करते थे।
सौरव और शादी करना चाहते थे पर उन्हें पता था कि उनका परिवार राज़ी नहीं होगा इसके दो कारण थे। पहली कारण यह कि गांगुली ब्राह्मण परिवार से थे जबकि डोना का परिवार ब्राह्मण नहीं था। दूसरा, गांगुली के परिवार को डोना का डांसर होना पसंद नहीं था। डोना एक अच्छी शास्त्रीय नृत्यंगना बनना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने गुरु केलुचरण से विधिवत नृत्य की शिक्षा ली है। बावजूद इसके दोनों के बीच रोमांस जारी रहा और दोनों अपने करियर पर भी ध्यान देते रहे। गांगुली चोरी-छिपे डोना का डांस देखने जाया करते थे तो वह भी उनका खेल देखने कभी कभी जाती थीं।
दोस्त ने की शादी में मदद
दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया और घरवालों से बात की, लेकिन उन्हें घर से इजाजत मिलने की संभावना नहीं दिखी। गांगुली के परिवार ने किसी गैर-ब्राह्मण लड़की से शादी करने के लिए इजाजत देने से इंकार कर दिया। वहीं डोना का परिवार भी इस रिश्ते से खुश नहीं था और उन्होंने भी इंकार कर दिया। इस बीच गांगुली का चयन टीम इंडिया के लिए हो चुका था और वो जून 1996 में इंग्लैंड खेलने चले गए।इंग्लैंड में सौरव गांगुली ने टेस्ट करियर की शुरुआत की और अपने पहले ही मैच (लॉर्ड्स) सेंचुरी बनाकर तहलका मचा दिया। उनके लिए यह दौरा बेहद शानदार रहा। वापस लौटने पर गांगुली ने क्रिकेटर और दोस्त मौली बनर्जी को अपनी दिल की बात बताई। मौली ने सौरव का साथ दिया।
और तय कार्यक्रम के अनुसार गांगुली और डोना कोलकाता में मौली बनर्जी के घर पर पहुंच गए। यहां से दोनों मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस के लिए निकले,अभी वह वहां पहुंचे ही थे कि कुछ मीडिया से जुड़े लोग उन्हें वहां दिखाई दिए। उन्हें लगा कि अगर उनकी शादी यहां होती है तो खबर मीडिया में चली जाएगी और अगले दिन फोटो अखबार में छप जाएगी। मौली ने बात को संभाला और रजिस्ट्रार को मनाया और अपने घर ले गए।
रजिस्ट्रार श्याम सुंदर गुप्ता मौली बनर्जी के घर पहुंचे और सारी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों की शादी मौली के घर पर करवा दी गई। उनकी यह शादी 12 अगस्त, 1996 को हुई, शादी के समय दादा की उम्र 23 और डोना 20 साल की थीं, दोनों ने अपने परिवारों को शादी के बारे में कुछ नहीं बताया।
दो बार शादी की सौरव गांगुली ने
इसके बाद गांगुली ने टीम इंडिया के साथ श्रीलंका के दौरे पर जाने से पहले अपने और डोना के रिश्ते का खुलासा कर दिया। दोनों के घरवाले बेहद खफा हो गए लेकिन अपने बच्चों की जिद के आगे झुकने के आलावा अब दोनों परिवारों के पास और कोई चारा भी नहीं था।श्रीलंका से लौटने पर दादा और डोना की फिर से शादी बेहद भव्य तरीके से कराई गई। 21 फरवरी, 1997 को दोनों ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के सामने सात फेरे लिए।
दोनों की शादी के 20 साल हो चुके हैं, उनकी एक बेटी सना है जिसका जन्म 3 नवंबर, 2001 को हुआ।
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