किचन का सबसे जरूरी सामानों में से एक है चोपिंग बोर्ड। चोपिंग बोर्ड फल या सब्जी काटने के काम आता है। यह चोपिंग बोर्ड स्टाइलिस हो तो आपके किचन के लुक को वाइब्रेंट बना देता है।अगर चोपिंग बोर्ड को ठीक से साफ़ ना किया जाये या ख़राब मटेरियल से बना चोपिंग बोर्ड प्रयोग किया जाये तो यही चोपिंग बोर्ड को बीमारियों का घर भी बन सकता है। ऐसे में कौन से चोपिंग बोर्ड का चुनाव किया जाए जिससे आप सेहतमंद भी रहें। आपको कुछ चोपिंग बोर्ड के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें से कोई एक चुनकर आप अपने किचन का हिस्सा बना सकते हैं। आइए जानते हैं अलग-अलग चोपिंग बोर्ड और उसके काम के बारे में।
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plastic board |
प्लास्टिक चोपिंग बोर्ड- प्लास्टिक चोपिंग बोर्ड की एक खास बात जो इसे सबसे अलग बनाती है वो है इसकी ड्यूरेबिलिटी। इसे आप आसानी से धो सकती हैं लेकिन एक दिक्कत है इसमें कि यह आसानी से साफ होता नहीं। बोर्ड पर पड़े चाकू के निशान धीरे-धीरे किटाणुओं का घर बनने लग जाते हैं। इसलिए अगर आपके पास प्लास्टिक का चोपिंग बोर्ड है तो उसे गरम पानी में डिशवाश डाल कर कुछ समय तक के लिए छोड़ दें और फिर नॉर्मल पानी से धो लें।
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corain board |
कोरियन बोर्ड- यह एक एक नए प्रकार का चोपिंग बोर्ड है जो पूरी तरह से गैर-छिद्रपूर्ण है जिस वजह यह बोर्ड बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं। ये दिखने में भी काफी स्टाइलिस्ट लगते हैं, काफी रंगों और डिजाइन में मौजूद ये चोपिंग बोर्ड काफी खूबसूरत होते हैं। लेकिन ड्यूरेबिलिटी की बात करें तो ये बोर्ड्स बिलकुल भी ड्यूरेबल नहीं होते साथ ही चाकू की धार भी इस बोर्ड पर धीरे-धीरे कम होने लग जाती है।
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wooden board |
वुडेन बोर्ड- बची हुई लकड़ियो से बना यह चोपिंग बोर्ड काफी लोगो की पसंद बनता जा रहा है। यह चोपिंग बोर्ड ड्यूरेबल होते हैं अगर आप इन्हें रोजाना डिशवाशर में न धोएं तो। लेकिन यह बोर्ड कीटाणुओं को अपनी ओर आकर्षित भी करता है। इन बोर्ड्स को रोजाना साफ करने की जरूरत होती है।
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bamboo board |
बैंबू बोर्ड- एक स्थायी, पर्यावरण-अनुकूल और अक्षय संसाधन का जरिया है बैंबू चोपिंग बोर्ड। जो वजन में भी हल्का है, कई पर्यावरणविद इसे किचन के लिए सबसे सही विकल्प मानते हैं। यह कम तरल अवशोषित करता है लेकिन यह चाकू पर कठिन बना देता है। यह आपके चाकू की धार को कम कर सकता है साथ ही इसमें बैक्टेरिया भी जल्दी ही पनपते हैं।